
रामगढ़ जिला के चरण केवट निर्विरोध अध्यक्ष चुने गए
रजरप्पा। झारखंड में मत्स्यजीवियों की स्थिति काफी दयनीय है। सभी समितियों के भंग होने से ये बिखर सी गई हैं। सरकार भी अब इनकी उपेक्षा करने लगी है। मत्स्यजीवी समितियों का सुदृढ़ नेटवर्क बनाना आवश्यक है। उक्त बातें मुख्य अतिथि प्रोफेसर डॉ राजकुमार चौधरी ने झारखंड राज्य मछुआरा परिषद झारखंड प्रदेश कि राज्य स्तरीय बैठक में कहीं।
मालूम हो कि झारखंड राज्य मछुआरा परिषद झारखंड प्रदेश के तत्वावधान में आज 19 जून 2025 को राज्य स्तरीय कमेटी के गठन का निर्णय लिया गया। बैठक में चरण केवट निर्विरोध रूप से परिषद के अध्यक्ष चुने गए। अध्यक्ष बनते ही चरण ने जिलावर समिति के गठन की प्रक्रिया भी प्रारंभ कर दी और सर्वसम्मति से 16 जिला की समिति की घोषणा कर दी।
इन समितियां में गिरिडीह संयोजक लखींद्र माल्लाह, सहसंयोजक संदीप मल्लाह, पाकुड़ से संयोजक सोमनाथ हलदर, सहसंयोजक मनोरंजन सरकार, कोडरमा से संयोजक पंकज निषाद सह संयोजक कुलदीप कुमार सिंह, हजारीबाग से संयोजक बालगोविंद निषाद सह संयोजक अविनाश मिश्रा, गोड्डा से संयोजक बीरबल महलदर, सहसंयोजक कमलेश्वरी महलदर, साहिबगंज से संयोजक अरुण चौधरी सहयोजक सुबोध सरकार, रामगढ़ से संयोजक लक्ष्मण चौधरी,
सहसंयोजक श्रीमती सुकरी देवी, धनबाद से संयोजक विश्वनाथ धीवर सहसंयोजक संतोष निषाद, गुमला से संयोजक अर्जुन मल्लाह संयोजक राम मल्लाह , बोकारो से संयोजक निर्मल धीवर सहसंयोजक संजय केवट, दुमका से संयोजक भरत कापरी सहसंयोजक विजय मल्लाह, देवघर से संयोजक श्यामलाल कापरी सहसंयोजक श्रीमती कैली देवी, रांची से संयोजक कमल सहनी सह संयोजक संतोष कुमार, चाईबासा से संयोजक बसंत निषाद सहसंयोजक ललन निषाद, लातेहार से संयोजक संतोष निषाद सह संयोजक सत्येन्द्र शाह शामिल है।
अपने प्रथम अध्यक्षीय भाषण में चरण केवट ने कहा कि जिला समितियों के बन जाने के बाद पदाधिकारी की जिम्मेवारियां बढ़ गई है। वह अपने क्षेत्र में बढ़-चढ़कर कार्य करें। आवश्यकता पड़ने पर वे राज्य के सभी जिलों का भी दौरा करेंगे। साथ ही उन्होंने कहा कि यदि जिला की कोई समिति चाहती है कि राज्य स्तरीय कमेटी का दौरा हो तो वह स्वत: संज्ञान लेते हुए परिषद के पदाधिकारी को जिला में आमंत्रित कर सकते हैं।
इस अवसर पर धनबाद से अजय निषाद ने परिषद के विषय से अवगत कराते हुए कहा कि झारखंड गठन के बाद पारंपरिक रूप से मछली का व्यवसाय कर रहे मछुआरों के अलावा कुछ और जातियां भी इस व्यवसाय में शामिल थीं। कालांतर में सरकार ने समितियों को भंग कर दिया, जिससे पूरी व्यवसायिक व्यवस्था ही चरमरा गई।
इतना ही नहीं चंद दिनों के प्रशिक्षण के बाद किसी को भी मछुआरा घोषित कर दिया जा रहा है, जिससे पारंपरिक मछुआरों का रोजगार पूरी तरह से छिन गया है। उन्होंने कहा कि शीघ्र ही संबंधित विभाग के मंत्री से मिलकर वह परिषद का पक्ष रखेंगे और यथोचित न्याय की मांग करेंगे।
साहिबगंज से आए मोतीलाल सरकार ने मछुआरा समाज की कई सामाजिक समस्याओं की ओर ध्यान दिलाते हुए एकजुट रहने पर विशेष बल दिया साथी उन्होंने कहा कि 14 से 15% के करीब जनसंख्या होने के बाद भी प्रदेश स्तर पर एक भी संगठन करता हम नहीं बना पाए।
गोड्डा से आए सुरेश केवट ने कहां की समितियां पंचायत स्तर तक तो बने लेकिन उनमें यथासंभव मछुआरा समाज को ही प्राथमिकता दी जाए ताकि पारंपरिक व्यवसाय से जुड़े लोग विकास की मुख्य धारा से वंचित न हो जाएं। गुमला से अर्जुन मल्ला ने कहा कि पंचायत स्तर तक समितियां में चुनौतियां तो हैं सबसे बड़ी चुनौती सूचना का सही समय पर नहीं पहुंच पाना है जिस कारण वांछित लाभ नहीं मिल पाता है।
देवघर से महिला प्रतिनिधि कैली देवी ने समितियां के भंग हो जाने से मछुआ जाती के पारंपरिक व्यवसाय में आ रही गिरावट को गंभीर बताते हुए जोरदार आंदोलन छेड़ने की बात कही। गिरिडीह से राजेश रजक ने विभिन्न चरणों में सरकार के द्वारा लिए गए निर्णय पर चर्चा की तथा मछुआरा समाज के भविष्य में किए जाने वाले क्रियाकलापों की रूपरेखा की भी चर्चा की।
इस अवसर पर गुमला जिला से केलटा झोरा, गंधुर झोरा राम मल्लाह अर्जुन मल्लाह कर्म झोरा,कृष्णा माल्लाह, विश्वनाथ झोरा, निर्मल चंद्रवंशी लक्ष्मण चौधरी रणजीत मल्लाह, अरुण चौधरी, श्यामलाल चौधरी सहित राज्य भर के मछुआरा समिति सदस्य शामिल हुए। धन्यवाद ज्ञापन समिति के अरविंद केवट ने किया। मंच संचालन दामोदर चौधरी ने किया।