
रजरप्पा। चितरपुर प्रखंड के द्वारा 16 फ़रवरी को पंचायत -मारंगमरचा, गांव- सोंढ़ में ठाकुर प्रेतनाथ सिंह के खेत में लगभग डेढ़ एकड़ जमीन में श्री विधि पद्धति से प्रखंत तकनीकी प्रबंधक चंद्रमौली के द्वारा खुद से धान बीहन को रोपण कर गरमा घान की पंक्तिबद्ध तरीके अपनाकर प्रत्यारोपण की गई। चितरपुर प्रखंड में पहली बार गरमा घान की फसल लगाकर शुरुआत की गई।
इस कार्य को साकार करने में कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन अभिकरण, आत्मा चितरपुर प्रखंड के तकनीकी प्रबंधक चंद्रमौली के द्वारा किसान को प्रेरित करने के उपरांत गरमा घान की खेती पहली बार साकार की गई है आशा है कि अच्छी उपज प्राप्त होगी संकर प्रभेद की धान है जो कि 117-125 दिनों में पक कर तैयार हो जायगी।
प्रखंड तकनीकी प्रबंधक चंद्रमौली ने बताया कि क्षेत्रभ्रमण के दौरान सोंढ़ गाॅव के इन सभी खेतों को पिछले वर्ष गर्मी के मौसम में ही देखा था और निष्कर्ष निकाले थे कि इन सभी खेत में पर्याप्त जल की उपलब्धता रहती हैं तो क्यों न गर्मी के मौसम में गरमा घान लगाने के लिए किसान से मुलाकात कर खाली पड़े खेत में गरमा धान लगवाकर किसान को अतिरिक्त आय का रास्ता सुगम किया

जाय इस बात को लेकर किसान ठाकुर प्रेतनाथ सिंह से मुलाकात की गई और निष्कर्ष निकला कि धान फसल की खेती की जाय उस वक्त भी धान बीहन लगाने को लेकर काफी छानबीन की गयी लेकिन धान बीहन नहीं मिल पाया । इस वर्ष धान का बीचड़ा खुद तैयार की गई है तदुपरांत खेत में गरमा धान फसल रोपनी की गई है।
इस खेत में जीवामृत का प्रयोग भी किया गया है जिससे कि जैविक खेती को भी बढ़ावा देने की ओर किसान अग्रसर होगा। जो कि खेत के स्वास्थ्य में सुधार के साथ साथ गुणवत्तायुक्त उत्पादन प्राप्त होगा। जीवामृत मिट्टी की जैविक गतिविधि बढ़ाता है, जिससे मिट्टी में जीवाणुओं और अन्य जैविक तत्वों की संख्या बढ़ जाएंगी ।

पौधों की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है, जिससे वे कीट और रोगों के प्रति अधिक प्रतिरोधी हो जाएंगे जीवामृत में मौजूद जीवाणु और अन्य जैविक तत्व कीट और रोगों को नियंत्रित करने में मदद करेंगे । प्रखंड तकनीकी प्रबंधक ने बताया कि मैं तो किसानों के लिए हर संभव प्रयास में लगा रहता हूं व संपर्क कर
गर्मी के मौसम में खाली पड़े जितने खेत हैं जिसमें थोड़ा भी पानी जमाव रहता है, उसमें गरमा घान फसल लगाने के लिए सुझाव और फायदे के बारे में बताने का कार्य करते हैं , जिससे खेत में जमा पानी का सदुपयोग हो जाए । गरमा घान फसल में कीट और रोगों की समस्या कम होती है।
और अतिरिक्त आय बढ़ाने में मदद मिलती है। उम्मीद है अगले वर्ष सात आठ एकड़ जमीन में गरमा घान की खेती होगी अगल बगल के खेत वाले से बातचीत हुई है गरमा घान की रोपनी देखकर लोग काफी प्रभावित और उत्साहित है वे सभी सोचे भी नहीं थे कि गरमा धान भी इस खेत में लगाया जा सकता हैं।