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करीब 15 दिनों से बन रहा लोहा पुल, लोग अधूरे नये पुल व नदी में बिछा बालू भरा सिमेंट बोरो के रास्तों से हो रहे पार

दो पहिया वाहनों को पुल के नजदीक करते हैं खड़े, तब जाते हैं कोलयरी रेलीगढ़ा पिट ऑफिस व खुली खदान

रेलीगढ़ा लोहा पुल के क्षतिग्रस्त होने,अब बनने से लोगों के दिक्कतें बढ़ी

रिपोर्ट एस कुमार

गिद्दी/सिरका। सीसीएल के अरगड्डा क्षेत्र के रेलीगढ़ा परियोजना ऑफिस व एमपीआई, पक्का धौड़ा टोला के मध्य नदी में पुल करीब दो सप्ताह से भी अधिक समय से बन रहा है. जिससे यहां रहने वाले, आने वाले मेहमानो, रेलीगढ़ा पिट ऑफिस, खुली खदान ड्यूटी कामगारों, छात्रों की परेशानी बढ़ी हुई है।

पुल के बाढ़ के पानी से क्षतिग्रस्त होने के बाद अब नवनिर्माण का प्रारंभ हुआ है. लोग नदी में सीमेंट के बोरों में बालू भरकर बिछाए गए बोरो के ऊपर से चढ़कर नदी पार कर रहे हैं. जो असुरक्षित है. फिसलने और गिरने का डर बना रहता है. इसमें सबसे ज्यादा बुजुर्ग व बच्चे प्रभावित हो रहे हैं,

रेलीगढ़ा एमपीआई व रेलीगढ़ा पिट ऑफिस खुली खदान जाने में लोगो और सीसीएल कर्मियों को नदी के इस पार अपने दो पहिया वाहनों को खड़ा कर नदी के ऊपर बिछाए बोरियो के ऊपर से जाना पड़ता है. लोहा पुल के टूट जाने से रेलीगढ़ा एमपीआई आने वाले दर्जनों लोगों को मुख्य सड़क से रेलीगढ़ा बाजार होते हुए

करीब दो से ढाई किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ रही है. इससे पैदल आने वाले लोगों को समय अधिक लग रहा है. इससे परेशानी बढ़ती जा रही है. आस-पास के हैसालोग, बसकुदरा, कनकी, बसरिया, बुंडू ग्रामीण भी पुल के जल्द नहीं निर्माण होने से नव निर्माण पुल से असुरक्षित होकर गुजर रहे है. पुल निर्माण में लगे मजदूर भी टोपी, जूता, सेफ्टी बेल्ट के साथ काम करते दिखाई नहीं पड़ रहे हैं।

G. Reddy

जी रेड्डी एक अनुभवी पत्रकार हैं, जो निष्पक्ष और सटीक रिपोर्टिंग के लिए जाने जाते हैं। वे "समाचार संध्या" नामक वेब पोर्टल संचालित करते हैं, जो समसामयिक घटनाओं पर गहरी विश्लेषणात्मक रिपोर्टिंग करता है। उनका उद्देश्य समाज को सही और विश्वसनीय जानकारी प्रदान करना है।

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