
श्री अग्रसेन स्कूल में डार्विन दिवस पर सेमिनार का आयोजन
डार्विन सिद्धांत से आई जीव विज्ञान की समझ में क्रांति : एचके सिंह
भुरकुंडा (रामगढ़)। महान वैज्ञानिक चार्ल्स डार्विन की जयंती के अवसर पर बुधवार को श्री अग्रसेन स्कूल भुरकुंडा में डार्विन डे मनाया गया। इस अवसर पर सीनियर विद्यार्थियों के साथ विशेष सेमिनार का आयोजन हुआ। इसमें डार्विन के विकासवाद के सिद्धांत पर चर्चा की गई। शिक्षक एचके सिंह ने बताया कि इस सिद्धांत के मुताबिक, इस धरती पर सबसे पहले एक कोशिका वाले जीव बने।
ये जीव पानी में रहते थे। समय व परिस्थितियों के अनुसार इन्होंने खुद को ढाल लिया। बाद में एक कोशिकीय जीव के बाद बहुकोशिकीय जीव बने। इस तरह जीव विकास की यह यात्रा करोड़ों वर्षों तक चली। इसी के परिणामस्वरूप बंदर से इंसान बना। उन्होंने यह सिद्धांत 20 साल के लंबे शोध के आधार पर दिया था।
श्री सिंह ने कहा कि उनका यह सिद्धांत उन मान्यताओं को खारिज करता है, जिसमें कहा गया था कि इंसान, जीव-जंतुओं और पेड़-पौधों का निर्माण एक अलौकिक घटना है। उनके इस सिद्धांत का धार्मिक व सामाजिक स्तर पर विरोध भी हुआ। लेकिन बाद में उनके सिद्धांतों को वैज्ञानिक समुदाय में स्वीकृति मिली और आधुनिक जीव विज्ञान को आकार मिली।
स्कूल के निदेशक प्रवीण राजगढ़िया ने कहा कि वर्तमान में डार्विन सिद्धांत सिलेबस का हिस्सा नहीं है। लेकिन एक विद्यार्थी के तौर पर हमें इसकी जानकारी जरूर रखनी चाहिए। डार्विन दिवस लोगों को आलोचनात्मक सोच व वैज्ञानिक जांच को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करता है।
साथ ही यह वैज्ञानिक संगठनों, शिक्षकों व सरकारों को विज्ञान, शिक्षा व तर्कसंगत सोच को बढ़ावा देने का अवसर भी प्रदान करता है। सेमिनार में विद्यार्थियों ने डार्विन की जीवनी व उनके कार्यों से जुड़े प्रश्न पूछे। मोटीवेटर मुख्तार सिंह ने विद्यार्थियों के सवालों का जवाब दिया।