
रिपोर्ट सज्जाद आरिफ
दुलमी। रामगढ़ जिले के दुलमी प्रखंड क्षेत्र के दुठुवा गांव संत रामपाल जी महाराज के सत्संग कार्यक्रम आयोजित किए गए। सत्संग में, संत रामपाल जी महाराज ने गंगा स्नान की वास्तविक साधना विधि और मंत्र का खुलासा किए। उन्होंने गीता, वेद और अन्य शास्त्रों के प्रमाणों से यह स्पष्ट किया कि गंगा स्नान से न तो पाप धुलते हैं और न ही मोक्ष मिलता है।
संत रामपाल जी महाराज ने यह भी बताया कि केवल शास्त्र प्रमाणित भक्ति से ही जीव का उद्धार हो सकता है, न कि बाहरी कर्मकांडों से। संत जी ने बताए कि यदि गंगा स्नान से मोक्ष मिलता, तो हर महाकुंभ में होने वाली दुर्घटनाएँ और असमय मौतें नहीं होतीं।
संत रामपाल जी महाराज ने गीता के अध्याय 4 श्लोक 34 का उल्लेख करते हुए कहा कि “तत्त्वदर्शी संत” ही वास्तविक साधना की विधि जानते हैं। गीता में लिखा है:

तद्विद्धि प्रणिपातेन परिप्रश्नेना सेवया। उपदेशन्ति ते ज्ञानं ज्ञानिनस्तत्त्वदर्शिनः॥
इस श्लोक के अनुसार, केवल एक तत्त्वदर्शी संत ही हमें वास्तविक ज्ञान दे सकते हैं। वे सही साधना और मंत्र के बारे में हमें बताते हैं, जो हमारे उद्धार का मार्ग प्रशस्त करते हैं। संत रामपाल जी महाराज ने अपने सत्संगों में यह साबित किया कि शास्त्रों में प्रमाणित मार्ग से ही मोक्ष प्राप्त किया जा सकता है, न कि गंगा स्नान से।
संत रामपाल जी महाराज ने गीता के अध्याय 17 श्लोक 23 का हवाला देते हुए कहा कि परमात्मा का असली मंत्र “ॐ तत् सत्” है।
यह मंत्र परमात्मा के साक्षात्कार और भक्ति का असली मंत्र है। संत रामपाल जी महाराज ने स्पष्ट किया कि यह मंत्र सांकेतिक रूप में दिया गया है और इसे सही रूप में उच्चारण करना ही आत्मा के उद्धार का सही तरीका है। जो तत्वदर्शी संत बताते है। गंगा स्नान से केवल आस्था का बल मिलता है,
लेकिन पापों की मुक्ति के लिए यह मंत्र और शास्त्रों में बताई गई साधना सच्चे संत से ले के करनी चाहिए। सत्संग में मुख रूप से राज्य सहयोगी सेवादार विकाश महतो जिला सेवादार राजेश दास, सत्य प्रकाश ठाकुर, प्रदीप महतो, रोहित महतो कारण कुमार, खुशबू कुमारी, ममता देवी अंजू देवी लक्ष्मी कुमारी समेत सैकड़ों श्रद्धालु मौजूद रहे।