शरीरिक तंदुरुस्ती तन-मन स्वस्थ्य जीवन के लिए व्यायाम करना ही विकल्प – डॉ सुनील कश्यप

रजरप्पा। पुरे विश्व मे अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस प्रतिवर्ष 21 जून को मनाया जाता है यह दिन उत्तरी गोलार्ध में वर्ष का सबसे लंबा दिन होता है और योग करने पर मनुष्य को दीर्घायु बनाता है शरीर का हर अंग को स्वस्थ्य मजबूत और तंदुरुस्त बनाता है,इसीलिए तो कहा गया है की योग केवल व्यायाम नहीं आत्मा को जानने और जीवन को सफल और सुलझाने का का माध्यम है
योग वो साधन है जिससे सांसों के भी दिशा देती है जिस दिन से योग जीवन का हिस्सा बनता है उस दिन से अशांति जीवन से दूर जाने लगती है योग से न केवल शारीरिक स्वास्थ होता है बल्कि मन भी शांत और स्थिर हो जाता है योग का जन्मदाता भारत है योग की उत्पत्ति भारत में हुई और यही से दुनिया के अन्य देश और हिस्सों में फैला।
हम कह सकते हैं कि योग का इतिहास बहुत प्राचीन और इसे भारत की प्राचीन परंपरा का एक अमूल्य उपहार माना जाता है योग के जनक के रूप में महर्षि पतंजलि को जाना जाता है जिन्होंने योग सूत्रों की रचना की हालांकि योग का अभ्यास सिंधु घाटी सभ्यता के समय से ही मौजूद है योग के उत्पत्ति के बारे में कई मान्यताएं हैं लेकिन यह माना जाता है
कि भगवान शिव को आदियोगी( पहला योगी) माना जाता है उन्होंने ही सबसे पहले सप्त ऋषियों को योग का ज्ञान दिया था जिन्होंने बाद में पूरे विश्व में फैलाया इसलिए योग का जन्मदाता भारत है और यह दुनिया को भारत की एक महान दिन है योग में विभिन्न प्रकार के प्राणायाम और कपालभाति जैसे योग क्रियाएं शामिल हैं
जो सबसे ज्यादा सांस की क्रियाएं इसका नियमित अभ्यास शरीर के सभी अंग मजबूत और स्वस्थ रहते हैं इसको नियमित करने से निरोग रहा जा सकता है योग के अंतर्गत यह नियम आसन प्राणायाम तथा प्रत्याहार इसके साथ धारणा ध्यान समाधि प्रसिद्ध है डॉक्टर सुनील कुमार कश्यप प्राचार्य उत्क्रमित मध्य विद्यालय गोविंदपुर मांडू सह संस्कृत और योग के शिक्षक।