
लता के गीत हमेशा उनके होने का एहसास दिलाते हैं : प्रवीण राजगढ़िया
भुरकुंडा (रामगढ़)। श्री अग्रसेन स्कूल भुरकुंडा में गुरुवार को गायिका लता मंगेशकर की पुण्यतिथि मनाई गई। इस अवसर पर स्पेशल असेंबली का आयोजन हुआ। स्कूल के निदेशक प्रवीण राजगढ़िया, निदेशक एकाडमिक एसके चौधरी, शिक्षकों और बच्चों ने लता मंगेशकर की तस्वीर पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी।
स्पेशल असेंबली में शिक्षकों और विद्यार्थियों ने लता मंगेशकर के विभिन्न गीतों के मुखड़े की संगीतमय प्रस्तुति करते हुए उनके संगीतमय सफर को याद किया। इससे पूर्व विद्यार्थियों ने उनकी जीवनी पर कहा कि भारत रत्न एवं दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित लता मंगेशकर ने केवल 13 साल की उम्र से ही गीत गाना शुरू कर दिया था।
दर्जनों भाषाओं में उन्होंने हजारों गीत गाये हैं। उनके गाये गीत हर पीढ़ी को आज भी पसंद है। निदेशक प्रवीण राजगढ़िया ने सुरों की जादूगर लता मंगेशकर की उपलब्धियों पर कहा कि कोई ऐसे ही लता मंगेशकर नहीं बन जाता है। लता ने गीत-संगीत के क्षेत्र में काफी तपस्या की। जिसका परिणाम रहा कि उन्हें अनेकों पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
उनके विरोधी भी उनकी गायिकी में कमियां नहीं निकाल पाते थे। लता जी को स्वर कोकिला की उपाधि से नवाजा गया। अपने कैरियर में उन्होंने 20 भाषाओं में 40 हजार से अधिक गाने गाए। जिस भी दौर में भारतीय फिल्म-संगीत के इतिहास पर चर्चा होगी, उसमें लता मंगेशकर का नाम शीर्ष पर होगा।
इस महान गायिका की आवाज के कारण ही हिंदी फिल्मों के गाने खास बन सके। लता जी के गाये गीत मेरी आवाज ही मेरी पहचान है, हमेशा संगीत की दुनिया में उनके होने का एहसास दिलाती रहेगी। आयोजन को सफल बनाने में साधना सिन्हा, रितिका, मम्पी पाल का योगदान रहा।