
इंट्रोवर्ट बेहतर प्लानिंग के साथ प्राप्त करते हैं अपना लक्ष्य : डॉ अभिषेक
भुरकुंडा (रामगढ़)। इंट्रोवर्ट (अंतर्मुखी) वह व्यक्ति होता है, जो दूसरों से बातचीत या मेल-मिलाप से एनरजेटिक महसूस नहीं करता है। वह भीड़ वाले इलाके को पसंद नहीं करता। उसे अपना एकांत प्यारा लगता है। लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि उन्हें भीड़ से डर लगता है या उन्हें कोई बीमारी है। बस ये उनकी चॉइस है।
यह केवल व्यक्तित्व का एक प्रकार है। इसके उलट एक्स्ट्रोवर्ट लोग आत्मविश्वासी और उत्साह से भरे होते हैं। इन्हें अकेलेपन की तुलना में साथियों के बीच रहना ज्यादा पसंद होता है। ये लोग सोशल एक्टिविटीज में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं।
उक्त बातें विशेषज्ञ वक्ता नयी दिल्ली से आये चिकित्सक डॉ अभिषेक ने कही। डॉ अभिषेक शुक्रवार को श्री अग्रसेन स्कूल भुरकुंडा में शुरू हुए तीन दिवसीय सीबीएसई इंटरनल ट्रेनिंग सेशन में बोल रहे थे। पहले दिन ट्रेनिंग का विषय ‘स्किल फोर टीचिंग इंट्रोवर्ट स्टूडेंट्स’ था।

डॉ अभिषेक ने कहा कि इंट्रोवर्ट लोग अकेले में ज्यादा सहज होते हैं। उन्हें लोगों के साथ काम करने में कम दिलचस्पी होती है। वह बोलने से ज्यादा लिखना पसंद करते हैं। भीड़ में होने पर उन्हें घुटन महसूस होने लगती है। वह अपनी ख्वाबों की दुनिया में रहना पसंद करते हैं।
जल्दी नर्वस होते हैं, लेकिन उनके जैसी दोस्ती कोई नहीं निभा सकता। वह बहुत ईमानदार दोस्त और अच्छे लाइफ पार्टनर होते हैं। अक्सर लोग उनके बर्ताव को देखकर सोचते हैं कि वह फ्रेंडली नहीं है। लेकिन ऐसा नहीं है, इंट्रोवर्ट लोग खूब मस्ती करते हैं और फ्रेंडली होते हैं, लेकिन केवल चुनिंदा लोगों के साथ ही।
डॉ अभिषेक ने कहा कि लोग समझते हैं कि इंट्रोवर्ट अच्छे लीडर नहीं होते। लेकिन ऐसा नहीं है। इस तरह के लोग दूर की सोच रखते हैं। उन्हें अपना लक्ष्य पता होता है और वह लॉन्ग टर्म गोल पर काम करते हैं। वह कम बोलते हैं, लेकिन उनका काम पर फोकस रहता है।
उनकी प्लानिंग और आइडियाज सबसे हटकर होते हैं। उनके अंदर एक अच्छे बॉस और लीडर के सारे गुण होते हैं। ऐसे लोग बोलने से ज्यादा सुनना पसंद करते हैं। यानी वह अच्छे श्रोता होते हैं। यह खूबी बहुत कम लोगों में होती है। वह शांति से जब बातें सुनते हैं तो उनकी किसी से बहस नहीं होती।
दूसरे लोग उनसे खुश रहते हैं, क्योंकि वह पलट कर जवाब नहीं देते। जो लोग चुप रहते हैं, वह अपनी एनर्जी को बचाकर रखने में यकीन करते हैं और अपनी ताकत को प्रोडक्टिव बनाते हैं। नए स्किल्स जल्दी सीखते हैं। जब वह किसी काम को अपने हाथ में लेते हैं तो दुनिया उन्हें सलाम करती है।
क्योंकि सफलता उनके कदम चूमती है। इंट्रोवर्ट किसी भी काम को अधूरा नहीं छोड़ते हैं। इस अवसर पर निदेशक प्रवीण राजगढ़िया, प्राचार्य विवेक प्रधान, निदेशक एकाडमिक एसके चौधरी, काउंसेलर मुख्तार सिंह व शिक्षक उपस्थित थे।
चार तरह के होते हैं इंट्रोवर्ट
डॉ अभिषेक ने बताया कि इंट्रोवर्ट चार तरह के होते हैं। सोशल इंट्रोवर्ट, थिंकिंग इंट्रोवर्ट, एंशियस इंट्रोवर्ट और इनहैबिटेड इंट्रोवर्ट। सोशल इंट्रोवर्ट को कम लोगों के साथ उठना-बैठना पसंद होता है।
थिंकिंग इंट्रोवर्ट डे ड्रीमर यानी अपने ख्वाबों में रहने वाले होते हैं। ऐसे लोग बहुत सोचते हैं और क्रिएटिव होते हैं। एंशियस इंट्रोवर्ट अकेला रहना पसंद करते हैं।
लोगों की भीड़ उन्हें डराती है या वह शर्मा जाते हैं। इनहैबिटेड इंट्रोवर्ट कुछ भी एक्शन लेने से पहले बहुत सोचते हैं। ऐसे लोग जल्दी फैसले नहीं लेते।
इंट्रोवर्ट को पहचानने का तरीका
डॉ अभिषेक ने बताया कि इंट्रोवर्ट को पहचानने के लिए कुछ बातों पर ध्यान दिया जा सकता है। यदि भीड़-भाड़ पसंद न हो, ऑफिस या क्लास में पर्सनल बातें शेयर करने से बचता हो, फ्रेंड सर्किल बहुत छोटा हो, बाहर के बजाय घर में वक्त बिताना ज्यादा पसंद हो, आत्मविश्वास की कमी हो, अपनी आलोचना सुनने पर परेशान हो जाये तो ऐसे लोग इंट्रोवर्ट हो सकते हैं। ऐसे लोगों को पहचान कर उन्हें मोटिवेट करें। धीरे-धीरे उनकी झिझक दूर होगी।
इंट्रोवर्ट बच्चों को दें पूरा मौका
स्कूल में इंट्रोवर्ट बच्चों के बाबत कहा कि ऐसे बच्चे शैक्षणिक रूप से सक्षम होते हैं, भले ही वे क्लास में शांत क्यों न रहें। उन्हें उत्तर देने के लिए ज्यादा समय दें। इनके प्रति हमेशा सकारात्मक प्रतिक्रिया दें। इन्हें आमने-सामने चर्चा का मौका दें। एक्सट्रोवर्ट यानी बहिर्मुखी बच्चों के साथ जोड़कर उन्हें ज्यादा सक्रिय बनाने की कोशिश करें। ये बच्चे जब भी कुछ नया करें, तो उनकी तारीफ जरूर करें।